Raksha Bandhan Tyohar (रक्षा बंधन ) – Festival of love and bond

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan Tyohar) भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाने वाला एक महत्वपृर्ण पर्व है, जिसमे बहने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती है, और भाई उसके बदले में बहन को कोई तोहफा देते है और जिंदगी सुरक्षा प्रदान करने का वादा करते है।

रक्षाबंधन त्योहार कब मनाया जाता है ?

रक्षा बंधन(Raksha Bandhan Tyohar) हिंदी महीने श्रावण (भाद्रपद) के शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भारत में बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें भाई अपनी बहन को राखी बांधते हैं और उन्हें वचन देते हैं कि वे हमेशा उनकी सुरक्षा करेंगे और उनके साथ हर समय सहायता करेंगे। इस त्योहार को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है।

रक्षाबंधन की कहानी (Story of Raksha Bandhan Tyohar):

1. भगवान् श्री कृष्ण और द्रोपती

भगवान् श्री कृष्ण की एक बुआ, जिनका नाम श्रुतदेवी था उनका एक पुत्र जिसका नाम शिशुपाल था। उन्होंने शिशुपाल नाम का एक विकृत बालक को जन्म दिया। बड़ो से पता चलता है की जिसके स्पर्श से शिशुपाल स्वस्थ होगा उसी के हाथो शिशुपाल की मृत्यु होगी।

एक दिन श्री कृष्ण अपनी बुआ के घर आए थे। उन्होंने श्री कृष्ण के हाथो अपने पुत्र को रखा और देखा की जैसे ही शिशुपाल श्री कृष्ण के हाथो में गए, वह बच्चा सुन्दर हो गया। श्रुतदेवी यह बदलाव देख कर खुश हो गई, लेकिन उनकी मौत श्री कृष्ण के हाथो होने की संभावना से वह विचलित हो गई।

वह भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी की शिशुपाल कोई भी गलती करे आप उन्हें दंड नहीं करेंगे, तब श्री कृष्ण ने कहा में उसकी गलतियो को माफ़ कर दुगा लेकिन अगर वो सौ (100) से ज्यादा गलतिया करता है तो में उससे दंड जरूर दूगा।

शिशुपाल बड़े होकर एक चेदि नाकम राज्य के राजा बने, वो बहुत ही क्रूर राजा बना। वो अपने राज्य के लोगो को बहुत सताने लगा और बार-बार श्री कृष्ण को वो चुनौती देने लगा। एक समय में तो उन्होंने भरी सभा में श्री कृष्ण का अपमान करना शुरू कर दिया और उसी दिन उन्होंने अपने सौ (100) गलतियों को पूरा कर दिया था।

तुरंत ही भगवन श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का शिशुपाल के ऊपर उपयोग किय इसी प्रकार से बहुत चेतावनी मिलने के बाद भी शिशुपाल अपनी गलतिया करता गया, और अंत में उन्हें अपनी सज़ा मिली।

भगवन श्री कृष्ण जब अपना सुदर्शन चक्र छोड़ रहे थे तब उनकी भी उंगली में चोट लग गयी, उस समय सब उस घाव में कुछ बांधने के लिए इधर-उधर भागने लगे। तब द्रोपती ने अपनी साड़ी के कोने को फाड़ कर उससे श्री कृष्ण की उंगली में बांध दिया। द्रोपती ने कृष्ण की उंगली पर अपनी साड़ी का जो टुकड़ा बांधा था, वह उसकी राखी ही थी।

2. हुमायूँ और रानी कर्णावती

हुमायूँ बाबर के पोते और मुग़ल साम्राज्य के दूसरे सम्राट थे। रानी कर्णावती राजपूत राजवंश में पाल रानी थीं और राणा सांगा की पत्नी थीं।

एक समय की बात है, 1535 ईसा पूर्व में चितौड़ को गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से आक्रमण का सामना करना पड़ा। राणी कर्णावती ने अपने शहर के रक्षा की व्यवस्था की, लेकिन उनकी विस्तृत सेना नहीं थी। इस संदर्भ में, रानी कर्णावती ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ से मदद माँगी।

रानी कर्णावती का संदेश पहुँचते ही, हुमायूँ ने उनकी मदद करने का दिलचस्प तरीके से जवाब दिया। हुमायूँ ने उनसे कहा कि वह उन्हें अपने अच्छे मित्र के रूप में देखते हैं और वे तत्काल उनकी सेना के साथ राजपूताना आएंगे।

हुमायूँ के इस स्नेहभरे भाषण से बहुत प्रभावित होकर, रानी कर्णावती और राणा सांगा ने तत्काल हुमायूँ को रक्षा के लिए आमंत्रित किया।

हुमायूँ ने अपनी सेना के साथ चितौड़ की मदद के लिए रवाना होने का फैसला किया। लेकिन दुर्भाग्यवश, वे कुछ देर में चितौड़ की पहुँच नहीं पाए और शहर आक्रमण से पहले ही दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से तूफ़ानी बारिश के चलते इन्होंने वापसी का फ़ैसला किया।

रानी कर्णावती ने अपनी शानदार साहसिकता के कारण उन्हें सम्मानित किया और उन्हें रक्षा बंधन के त्योहार पर एक प्रेमी भाषण से सम्मानित किया। रानी ने अपनी रक्षा के लिए रक्षा बंधन का चिह्न उन्हें भेजा था। इससे प्रेरित होकर, हुमायूँ ने रानी कर्णावती के साथ रक्षा बंधन मनाने का संकल्प किया।

इस कथा से यह साबित होता है कि रानी कर्णावती और हुमायूँ के बीच एक साहसिक और श्रद्धा पूर्वक रिश्ता था, जो रक्षा बंधन के पर्व को समझाता है। यह कथा हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण कथा है जो भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्थित करती है।

3. संतोषी माता का जन्म कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है जब भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र थे – भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय। भगवान गणेश बड़े बूढ़े और समझदार थे, वह ज्ञान, विद्या, धर्म, बुद्धि और संतोष का प्रतीक थे।

एक दिन, माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों के सामने एक लाडू रखा। उन्होंने उनसे कहा कि जो भी इस लाडू को पहले खाएगा, वह पूरी दुनिया में सबसे संतुष्ट हो जाएगा।

भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय ने यह देखा कि यह लाडू दोनों के बीच है। उन्होंने शुरुआत में सोचा कि कौन इसे पहले खाएगा।

भगवान गणेश ने जानबूझकर उस लाडू को नहीं खाया और कहा, “भाई, आप इसे खाइए, मैं संतुष्ट हूं कि मेरे पास भी अन्य प्रकार के आनंद और संतुष्टि के भाग्यशाली विकल्प हैं।” इस बात के बाद, भगवान गणेश ने संतोषपूर्वक दिया हुआ नाम संतोषी माँ का नाम प्राप्त किया।

रक्षाबंधन और संतोषी माँ का संबंध:

संतोषी माँ के जन्म के बाद, उनके भक्तों ने उन्हें अपनी संतोष की पूर्ति करने वाली माँ माना। वे भक्ति भाव से संतोषी माँ की पूजा करने लगे और रक्षाबंधन के त्योहार के दिन भी उनकी पूजा करते थे। रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहनों को राखी बांधकर उन्हें सुरक्षित रखने का संकल्प लेते हैं।

इस तरीके से, भगवान गणेश के जन्म के द्वारा संतोषी माँ का जन्म हुआ था, और रक्षाबंधन त्योहार इस महान माँ के पूजा और समर्थन को दिखाने का एक अवसर बन गया। इस दिन भाई बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए उन्हें राखी बांधते हैं और प्रेम भरी शुभकामनाएं देते हैं। यह त्योहार परिवार के पवित्र रिश्ते को बढ़ावा देता है और प्रेम और समर्थन के भाव को साझा करता है।

रक्षा बंधन त्योहार के लिए हिंदी में स्टेटस(Raksha Bandhan Tyohar Hindi Status):

Raksha Bandhan Tyohar Hindi Status


१.रिश्ते बहन के हैं प्यारे, बांधे दिल से एक धागा।
रक्षा बंधन के पावन अवसर पर, भेजता हूँ दिल से यह प्यार भरा तोहफा।

२. रक्षा बंधन के दिन भाई की खुशियों का खजाना हैं।
भाई-बहन के रिश्ते में छुपी हैं खुशियों की ज़िंदगी की यह कहानी हैं।

३. भाई के साथ रखी का हैं महत्व, ये बांध सदैव सुख-शांति लाता हैं।
रक्षा बंधन के पावन पर्व पर, मेरी भाई से एक वचन स्वीकारता हूँ।

४. राखी की धागे से बँधा हैं रिश्ता, भाई-बहन का यह प्यार अबाद रहे।
रक्षा बंधन के पावन पर्व पर, भाई की देखभाल में माँ-बाप का विश्वास बने।

५. बंधन के रंग से जीवन सजाया हैं, भाई-बहन का प्यार ने जीवन को खुशियों से भर दिया हैं।
रक्षा बंधन के पावन अवसर पर, भाई-बहन के प्रेम को नमन करता हूँ।

६. राखी की धागे से बनता हैं खास रिश्ता, भाई की ममता में बसती हैं सबकी खुशियाँ।
रक्षा बंधन के दिन, भाई के साथ जीवन को खुशियों से सजाने का संकल्प लेते हैं।

७. राखी का धागा बनता हैं रिश्तों को मजबूत, यह पवित्र बंधन हर कठिनाई को आसान बनाता हैं।
रक्षा बंधन के त्योहार पर, भाई-बहन के पवित्र संबंध को बढ़ावा देने का संकल्प लेते हैं।

८. रक्षा बंधन के इस पवित्र दिन पर, भगवान से बस यही दुआ हैं,
मेरे भाई की रक्षा करें और सदैव उनके साथ खड़े रहें।

९. रक्षा बंधन का यह पावन त्योहार, भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक हैं।
भाई के साथ संबंध को सुरक्षित रखने के लिए, यह राखी बांधी जाती हैं।

१०. रक्षा बंधन की शुभकामनाएं भेजते हैं, आपके भाई के लिए खुशियों भरा जीवन हो।
आपके भाई की ममता से भरी, रक्षाबंधन की शुभकामनाएं।

११. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की यह कहानी, रक्षा बंधन के दिन फिर से याद आनी।
प्रेम और समर्थन से सजा हुआ यह त्योहार, राखी का धागा बनाए जीवन को सुरम्य।

१२. रक्षा बंधन के इस शुभ अवसर पर, भगवान से यही प्रार्थना हैं,
भाई की रक्षा करें और उन्हें सदैव सुरक्षित रखें।

१३. राखी की धागे से बँधे हैं बड़े प्यारे रिश्ते,
रक्षा बंधन के पावन अवसर पर भाई के प्रेम को याद करते हैं।

१४. रक्षा बंधन के पावन त्योहार पर, भाई-बहन के प्रेम का संबंध मजबूत हो।
राखी की धागे से बँधे इस रिश्ते की खुशियों से जीवन सजए हो।

१५. रक्षा बंधन के त्योहार पर, आपके भाई के लिए खुशियों भरा जीवन हो।
आपके भाई की ममता से भरी, रक्षाबंधन की शुभकामनाएं।

१६. रक्षा बंधन के पावन अवसर पर, भाई की खुशियों का खजाना हैं। भगवान आपके भाई को सदैव सुख और समृद्धि से भर दे।

१७. रक्षा बंधन के त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं! भाई बहन का यह प्यार सदैव बना रहे।

१८. रक्षा बंधन के पावन पर्व पर, भगवान से यही प्रार्थना हैं कि भाई-बहन के प्यार का यह बंधन हमेशा साथ रहे।

१९. रक्षा बंधन के इस मौके पर, आपके भाई की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। आपके भाई की हर मनोकामना पूरी हो।

२०. रक्षा बंधन के त्योहार पर, भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का अवसर हैं। भगवान आपको दिनचर्या में सफलता दे।

२१. रक्षा बंधन के पावन अवसर पर, भाई की खुशियों का खजाना हैं। भगवान आपके भाई को सदैव सुख और समृद्धि से भर दे।

२२. रक्षा बंधन के त्योहार की हार्दिक शुभकामनाएं! भाई बहन का यह प्यार सदैव बना रहे।

२३. रक्षा बंधन के पावन पर्व पर, भगवान से यही प्रार्थना हैं कि भाई-बहन के प्यार का यह बंधन हमेशा साथ रहे।

२४. रक्षा बंधन के इस मौके पर, आपके भाई की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। आपके भाई की हर मनोकामना पूरी हो।

२५. रक्षा बंधन के त्योहार पर, भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का अवसर हैं। भगवान आपको दिनचर्या में सफलता दे।

ये रक्षा बंधन के त्योहार के लिए कुछ स्टेटस हैं, जिन्हें आप अपने सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं और अपने प्यारे भाई बहन को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुनहरा मौका दे सकते हैं।

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan tyohar) से जुड़े सामान्य प्रश्न

रक्षा बंधन क्या है?

रक्षा बंधन(Raksha Bandhan Tyohar) एक हिंदू त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन के महत्व को दर्शाता है। यह हिंदू माह श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?

रक्षा बंधन(Raksha Bandhan Tyohar) उस प्यार और सुरक्षा को दर्शाता है जो भाई-बहन एक-दूसरे को देते हैं। यह भाई-बहनों के एक साथ आने और अपने रिश्ते को फिर से मजबूत करने का समय है।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

रक्षाबंधन(Raksha Bandhan Tyohar) के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधती हैं जिसे राखी कहते हैं। राखी अपने भाई के प्रति बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक है। तब भाई अपनी बहन को सभी कष्टों से बचाने की कसम खाता है।

राखी का महत्व क्या है?

राखी एक साधारण धागा है, लेकिन इसका महत्व बहुत बड़ा है। यह भाई-बहन के बीच के बंधन को दर्शाता है, जो अटूट है। राखी भाई द्वारा अपनी बहन की रक्षा करने के वादे का भी प्रतिनिधित्व करती है।

राखी कौन बाँध सकता है?

राखी बहनें अपने जैविक भाइयों, चचेरे भाई-बहनों और बहनोई को बांध सकती हैं। हालाँकि, हाल के वर्षों में, महिलाओं के लिए अन्य पुरुषों को राखी बांधना आम हो गया है, जिन्हें वे अपना भाई मानती हैं, जैसे कि करीबी दोस्त, गुरु या यहां तक कि मशहूर हस्तियां।

कुछ लोकप्रिय रक्षा बंधन उपहार क्या हैं?

भाइयों के लिए कुछ लोकप्रिय रक्षा बंधन(Raksha Bandhan Tyohar) उपहारों में कपड़े, घड़ियाँ, चॉकलेट और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। बहनों को अक्सर अपने भाइयों से गहने, कपड़े और सौंदर्य प्रसाधन के उपहार मिलते हैं।

क्या रक्षा बंधन पर भारत में सार्वजनिक अवकाश है?

हाँ, रक्षा बंधन(Raksha Bandhan Tyohar) पर भारत में सार्वजनिक अवकाश है। इस दिन अधिकांश व्यवसाय और सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। दक्षिण भारत में इस दिन निजी संस्थानों में अवकाश नहीं दिया जाता।

क्या मैं अपनी बहन को राखी बाँध सकता हूँ?

हां, आप अपनी बहन से राखी बंधवा सकते हैं. वास्तव में, यह आम होता जा रहा है, विशेषकर घनिष्ठ भाई-बहनों के बीच।

क्या मैं किसी ऐसे व्यक्ति को राखी बाँध सकती हूँ जो मेरा भाई नहीं है?

हां, आप किसी ऐसे व्यक्ति को राखी बांध सकती हैं जो आपका भाई नहीं है। यह अक्सर उनकी दोस्ती या मार्गदर्शन के प्रति आपकी सराहना दिखाने के तरीके के रूप में किया जाता है।

अगर मेरा कोई भाई नहीं है तो मुझे क्या करना चाहिए?

यदि आपका कोई भाई नहीं है, तो भी आप किसी ऐसे व्यक्ति को राखी बांधकर रक्षा बंधन मना सकती हैं, जिसे आप अपना भाई मानती हैं, जैसे कि कोई करीबी दोस्त, गुरु या यहां तक कि कोई सेलिब्रिटी। आप अपनी बहनों और अन्य महिला रिश्तेदारों के साथ समय बिताकर भी रक्षा बंधन मना सकते हैं।

रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?

रक्षाबंधन(Raksha Bandhan Tyohar) का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस त्यौहार की उत्पत्ति के बारे में कई अलग-अलग कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। एक लोकप्रिय कहानी बताती है कि कैसे हिंदू देवी द्रौपदी ने युद्ध में भगवान कृष्ण की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर राखी बांधी थी।
रक्षा बंधन (Raksha Bandhan Tyohar) एक खूबसूरत त्योहार है जो भाइयों और बहनों के बीच के बंधन क पर्व है। यह भाई-बहनों के लिए एक साथ आने और एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और प्रतिबद्धता व्यक्त करने का समय है।

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