Saptashrungi mata mandir (सप्तश्रृंगी माता मंदिर ): A wonderful shaktipeeth

Saptashrungi mata mandir नासिक से मात्रा 65 km की दूरी पर स्थित है। महाराष्ट्र में कुल ३.५ शक्तिपीठ है, उनमे से Saptashrungi mata का mandir एक शक्तिपीठ है , इसे आदि शक्तिपीठ भी कहा जाता है। मंदिर में आने पर आपको किसी भी चीज की कोई तकलीफ नहीं होगी क्युकी यहाँ सारी सुख सुविधाए मौजूद है। खाने पीने के लिए रेस्ट्रा , बच्चो के लिए एम्यूजमेंट पार्क, फोटो खींचने के लिए सेल्फी पॉइंट , खरीददारी के लिए कई सारी दुकाने , और रहने के लिए होटल भी उपलब्ध है।

Saptashrungi mata mandir पर्वतो के ऊपर जमीन से ४८०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है , वह जाने के लिए चाहे तो आप 548 सीढ़ियों की चढ़ाई कर सकते है या तो 40 सेकण्ड्स मेंफनीक्यूलर रोपवे से जा सकते है। इस रोपवे में एक बार में ६० लोग सफर कर सकते है। बच्चो व बुजुर्गो के लिए यह रोपवे बहुत सुगम माना जाता है।

सप्तश्रृंगी माता की कहानी

पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान राम और मात सीता ने दंडकारण्य में वनवास के दौरान माता के दर्शन किये थे। कहा जाता है की देवी ने महिसाशुर का वध करने के बाद यहाँ विश्राम किया था। यह भी कथा विख्यात है की जब लक्षमण , मेघनात के बाणो से मूर्छित हो गए थे तो हनुमान उनके लिए द्रोणागिरी पर्वत उठाकर ले जा रहे थे , तभी पर्वत का एक हिस्सा निचे गिरा जो सप्तशृंग गढ़ है।

saptashrungi mata के अस्त्रों की कहानी

Advertisement

८ फ़ीट ऊँची इस प्रतिमा में देवी के अठारह हाथो में देवी देवताओ के शस्त्र है जो उन्हें आशीर्वाद के रूप में महिशासुर जैसे बलिष्ठ राक्षस का वध करने के लिए मिले थे ।इन सभी १८ हाथो के अस्त्रों में भोलेनाथ से त्रिशूल, विष्णु देव से चक्र, वरुण का शंख, अग्नि देव का दाहकत्व, वायु देव का धनुष-बाण, इंद्र देव का वज्र एवं घंटा, यम राज का दंड, दक्ष प्रजापति जी की माला, ब्रह्मदेव जी का कमंडल, सूर्य देव की किरणें, काल स्वरूपी मातारानी की तलवार, क्षीरसागर से प्रदत हार, कुंडल व कड़ा, विश्वकर्मा भगवान् का तीक्ष्ण परशु व कवच, सागर का कमला हार, हिमालय का सिंह वाहन व रत्न शामिल है।

Saptashrungi mata mandir की मान्यताएँ

कहा जाता है की यहाँ माता की गोदभराई से संतान की प्राप्ति होती है। यहाँ देवी के गोदभराई के लिए नारियल, साड़ी , चूड़ी , सिंदूर, चुनरी, मिठाई देवी माँ को अर्पित की जाती हैा और भक्तो को देवी के १८ हाथो से आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह भी कहा जाता है की किसी मनुष्य को मधुमक्खी का छत्ता तोड़ते समय उसे यहाँ देवी की १८ हाथो वाली प्रतिमा दिखाई दी थी। ८ फ़ीट ऊँची इस प्रतिमा में देवी के आठो हाथो में शस्त्र है जिन्हे उन्होंने महिशासुर जैसे बलिष्ठ राक्षस का वध किया था।

शक्तीपीठ क्या होता है?

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी सती के शरीर के 52 टुकड़े धरती के जिन जिन स्थानों पर गिरे उन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। ये हिस्से पुरे भारतीय उपमहाद्वीप पे गिरे थे , कुछ हिस्से श्रीलंका और पाकिस्तान में भी गिरे थे। पुराणों के अनुसार कुल 52 टुकड़ो से 52 शक्तिपीठ बने। हर शक्तिपीठ में एक देवी का वास होता है। Saptashrungi mata mandir उन्ही शक्तिपीठो में से एक है।

शक्तिपीठ की कहानी

Advertisement

पुराणों के अनुसार राजा दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार में ‘बृहस्पति सर्व’ नमक यज्ञ कराया था , जिसमे उन्होंने ब्रम्हा, विष्णु समेत अन्य कई देवी देवताओ को आमंत्रित किया था पर उन्होंने शिवजी को निमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने शंकर भगवन के मना करने पर भी यज्ञ में गयी और अपने पिता राजा दक्ष से शिवजी को निमंत्रण न देने का कारन पूछा, इस पर राजा दक्ष ने शिवजी के लिए बहुत अपशब्द कहे। इस पर गुस्सा होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपनी जान दे दी।

जब शिवजी को इस बारे में पता चला तो गुस्से के उनका तीसरा नेत्र खुला और वे भी यज्ञ में चले गए। सरे देवी देवता उनके उग्र रूप से बचने के लिए वहां से निकल गए। और शिवजी माता सती के पार्थिव रूप को लेकर दुःख में इधर उधर घूमने लगे। धरती को विनाश से बचने के लिए श्री विष्णु ने माता सती के शरीर को चक्र से काट दिया और उन शरीर के 52 हिस्से धरती में जहाँ जहाँ गिरे वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

यह भी पढ़े



महाराष्ट्र के अन्य शक्तिपीठ

महाराष्ट्र में कुल साढ़े ३ शक्तिपीठ है :

  • महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर
  • तुलजा भवानी मंदिर , तुल्जापुर
  • रेणुका मंदिर , मत्रिपुर
  • सप्तशृंगी मंदिर, वानी , नासिक (Saptashrungi mata mandir)

Saptashrungi mata mandir में कहाँ और कब तक रुके ?

मंदिर के प्रांगण में ही रुकने की बहुत सारी व्यवस्थाए है, आप चाहे तो यहाँ होटल बुक कर सकते है या धर्मशाला में रूक सकते है।

यहाँ सप्तश्रृंगी निवासिनी देवी ट्रस्ट के द्वारा प्रदत धर्मशाला में बहुत की काम खर्चे में (लगभग २०० – १२०० रूपए ) में आप कमरे बुक कर सकते है। नई फनीक्यूलर रोपवे काम्प्लेक्स में जाकर भी ५००-२५०० रूपए में सुविधाजनक कमरे बुक किये जा सकते है।

Saptashrungi mata mandir की फोटो

Advertisement
saprasrungi mata ki pratima
सप्तश्रृंगी माता की प्रतिमा
Mahisasur temple
महिषासुर मंदिर
Stairs of Saptashrungi temple
मंदिर की सीढिया
Restaurant in the temple
मंदिर के रेस्टोरेंट
Amusement park for kids
बच्चो के लिए एम्यूजमेंट पार्क
market-in-temple
मंदिर के बाहर का बाजार
Selfie-phoint
सेल्फी पॉइंट
chudi shop in temple
चूड़ी व सिंदूर की दूकान
Outside view from temple
मंदिर के बहार का दृश्य

Saptashrungi mata mandir ropeway की पूरी जानकारी

मंदिर में पहुंचने के लिए आपके पास २ तरीके है , पहला तो आप मंदिर की 548 सीढ़ियों की चढाई कर सकते है , या तो आप मंदिर के फुनिक्युलर रोपवे का उपयोग कर सकते है। यह रोपवे महज ३०-४० सेकण्ड्स में आपको मंदिर में पंहुचा देगा। जिन श्रद्धालुओ को मंदिर की इतनी सारी सीढ़ियों की चढ़ाई करने में परेशानी होती है वे सामान्यतः रोपवे का उपयोंग करते है। मंदिर में रोपवे के लिए अलग से टिकट कटना पड़ता है ,

ropway ticket
  • १२-७५ वर्ष के लिए – ११० रूपए
  • ३-१२ वर्ष के लिए ५५ रूपए
  • ७५ वर्ष से ऊपर के लिए – ५५ रूपए

मंदिर के इस टिकट को खरीदने के बाद वापस आने के लिए संभल कर रखना होता है , अन्यथा वापस आने के लिए ११० रूपए का फाइन देना पड़ता है। इस रोपवे को यहाँ २०१८ में लगाया गया था और इसमें एक बार में ६० लोग बैठ सकते है , यह रोपवे हर १५ मिनट में चलता है। कहा जाता है की यह रोपवे अपनी तरह का एक अनूठा रोपवे है , जो स्विट्ज़रलैंड से बनवाया गया है। यहाँ बहुत ही फ़ास्ट और सुरक्षित है। रोपवे की बुकिंग करने के लिए क्लिक करे

फनिक्युलर रोपवे क्या होता है ?

यहाँ कोच के भर के आधार पर काम करता है। इसमें एक चक्के के ऊपर रस्सी लगी होती है, जिसके दोनों छोर पर कोच होते है जिनमे यात्री बैठे होते। एक कोच से यात्री निचे आते है, और दूसरे कोच से उसी समय अन्य यात्री ऊपर जाते है। चकरी को घुमाने के लिए एक हाई पावर मोटर का इस्तेमाल होता है।

Saptashrungi mata mandir timings

Advertisement

मंदिर के खुलने का समय सुबह ६ बजे और बंद होने का समय सायंकाल ९ बजे है। Saptashrungi mata mandir का सबसे प्रसिद्ध पर्व चैत्रोत्सव है। देवी की पूजा बड़े धूमधाम से नवरात्री के समय भी की जाती है।

Saptashrungi mata mandir कैसे जाएँ?

निकटतम हवाई मार्ग – इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप मुंबई या पुणे हवाई अड्डे तक पहुंच सकते है फिर वह से टैक्सी लेकर या बस से इस मंदिर तक पहुंच सकते है।

निकटतम रेलवे मार्ग – नासिक एक प्रसिद्ध स्टेशन है , आपको भारत के सभी प्रमुख शहरो से यहाँ के लिए ट्रैन मिल जाएगी।

सड़क मार्ग – नासिक से 65 km दूर यह शक्तिपीठ मंदिर महाराष्ट्र बस परिवहन की बसों द्वारा या निजी परिवहन की मदद से भी पहुंच सकते है।

Saptashrungi mata mandir के पास घूमने की जगह

वाणी: पास का एक गाँव जो मंदिर और अपने शांत वातावरण के बहुत प्रसिद्ध है ।

ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और सप्तश्रृंगी माता मंदिर के निकट महज ५ km की दूरी पर स्थित है।

नंदूरी किला: एक प्राचीन पहाड़ी किला जो माता के मंदिर के समीप ही है।

कलवान: एक शहर जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

ओज़ार: विग्नेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध, जो भगवान गणेश को समर्पित आठ अष्टविनायक मंदिरों में से एक है।

लेन्याद्री गुफाएँ: ये प्राचीन चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध गुफाएँ एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल हैं।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर: भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग मंदिर, सप्तश्रृंगी माता मंदिर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है।

अंजनेरी पहाड़ी: भगवान हनुमान का जन्मस्थान माना जाने वाला यह पर्वत ट्रैकिंग के लिए काफी प्रसिद्ध है ।

नासिक: अपने कुंभ मेले के लिए जाना जाने वाला नासिक मंदिरों, अंगूर के बागानों और ऐतिहासिक स्थलों सहित कई अन्य आकर्षण प्रदान करता है।

सीता गुफा : नासिक के पास स्थित रामायण कथा से जुड़ी एक गुफा।

पांडवलेनी गुफाएँ: ये प्राचीन बौद्ध गुफाएँ नासिक में त्रिवशमी पहाड़ी पर स्थित हैं।

सुला वाइनयार्ड्स: यदि आप वाइन पर्यटन में रुचि रखते हैं, तो सुला वाइनयार्ड्स नासिक में एक लोकप्रिय स्थल है।

Saptashrungi mata mandir के सामान्य प्रश्न :

Advertisement

भारतीय उपमहाद्वीप में कितने शक्तिपीठ है ?

भारतीय उपमहाद्वीप में कुल ५२ शक्तिपीठ है।

यह मंदिर किस देवी को समर्पित है ?

Saptashrungi mata mandir माँ जगदम्बा को समर्पित है।

फनीक्यूलर रोपवे से मंदिर तक पहुंचने में कितना समय लगता है?

३० सेकण्ड्स से ४० सेकण्ड्स में मंदिर तक पंहुचा जा सकता है , यह काफी तेज और सुरक्षित होता है।

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Updated on May 11, 2024

Leave a Comment