Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics (श्री कृष्ण जी की आरती गीत)

Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics (श्री कृष्ण जी की आरती गीत) “आरती कुंजबिहारी की” भगवान श्रीकृष्ण की एक प्रसिद्ध आरतियों में से एक है जो उनके गुणों और महिमा का गुणगान करती है। यह आरती बहुत ही प्रिय और प्रसिद्ध है।

इस आरती के गाने से भगवान श्रीकृष्ण को स्तुति और समर्पण किया जाता है, जिससे भक्तों का मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होता है। इसके गाने से भक्त का मन शांत होता है और उन्हें भगवान के साथ साकार या निराकार ध्यान का अनुभव होता है। इसके अलावा, इस आरती का गाना एक सांस्कृतिक और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में भी महत्वपूर्ण होता है और सामाजिक समरसता का संदेश देता है।

ध्यान और आदर्श स्थिति में इस आरती का गाना श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ किया जाना चाहिए, ताकि इसके द्वारा जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश का सामर्थ्य मिल सके।

आरती कुंज बिहारी की गीत का वीडियो

श्री कृष्ण जी की आरती गीत (Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics)

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आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली


भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics in English

Shri Krishna Ras Leela Photo
श्री कृष्णा भगवान राधा एवं अन्य गोपियों के साथ

aaratee kunjabihaaree kee,
shree giridhar krshn muraaree kee.
aaratee kunjabihaaree kee,
shree giridhar krshn muraaree kee.

gale mein bajantee maala,
bajaavai muralee madhur baala.
shravan mein kundal darshanala,
nand ke aanand nandalaala.
gagan sam ang kaanti kaalee,
raadhika chamakatee rahee alee.
laatan mein thaathe banamaalee

bhramar see alak,
kastooree tilak,
chandr see jhalak,
lalit chhavi shyaama premika kee,
shree giridhar krshn muraaree kee.
. aaratee kunjabihaaree kee….

kanakamay mor kraun bilasai,
devata darshan ko tarasen.
gagan son suman raasee barasai.
aparaahn murachang,
madhur miradang,
gvaalin sang,
atul rati gop kumaaree kee,
shree giridhar krshnamuraaree kee.
. aaratee kunjabihaaree kee….

jahaan te prakat bhee ganga,
sakal man haarini shree ganga.
smaran te hot moh bhanga
basee shiv sees,
jata ke beech,
harai agh keech,
charan chhavi shreebanavaaree kee,
shree giridhar krshnamuraaree kee.
. aaratee kunjabihaaree kee….

chamakadaar chamakeela tat renoo,
baj rahee vrndaavan benoo.
chahun disi gopee gvaal dhenu
hansat mrdu manda,
mahaz chand,
katat bhav phand,
ter sun deen dukhaaree kee,
shree giridhar krshnamuraaree kee.
. aaratee kunjabihaaree kee….

aaratee kunjabihaaree kee,
shree giridhar krshn muraaree kee.
aaratee kunjabihaaree kee,
shree giridhar krshn muraaree kee.

Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics से जुड़े सामान्य प्रश्न

श्रीकृष्ण कौन थे?

श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में एक प्रमुख आदर्श और अवतार माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं और “भगवद गीता” के अनुसार आर्जुन के मार्गदर्शन के लिए पृथ्वी पर आए थे।

श्रीकृष्ण की जीवनी क्या है?

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन वृन्दावन में गोपियों के साथ विहार करते हुए बिता। उनके बाललीलाएं और गोपियों के साथ रासलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

श्रीकृष्ण की शिक्षाएं क्या थीं?

भगवान श्रीकृष्ण ने “भगवद गीता” के माध्यम से अर्जुन को अपने कर्तव्य की महत्वपूर्णता, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग और वैराग्य के विषय में उपदेश दिया।

क्या भगवान श्रीकृष्ण का विवाद था?

हां, भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में कई विवाद थे, जैसे कंस जैसे असुरों के साथ। उन्होंने कंस के हत्यारे और धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का परित्याग किया।

श्रीकृष्ण के रहस्यमयी जीवन में कौन-कौन सी घटनाएं हुईं?

श्रीकृष्ण की जीवन में ब्रज में गोपियों के साथ रासलीला, गोवर्धन पूजा, महाभारत के युद्ध में अर्जुन के मार्गदर्शन, द्रौपदी की रक्षा, शिषुपाल का वध, वासुदेव का कथा काफी महत्वपूर्ण घटनाएं हैं।

श्रीकृष्ण की उपासना कैसे की जाती है?

श्रीकृष्ण की उपासना विभिन्न तरीकों से की जा सकती है, जैसे मंत्र जाप, भजन, ध्यान, व्रत, आरती, पूजा, भगवद गीता के पाठ आदि।

श्रीकृष्ण की महत्वपूर्ण पुस्तकें कौन-कौन सी हैं?

श्रीमद् भगवद गीता, भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, हरिवंश पुराण, श्रीकृष्ण कर्णामृतम् आदि उनकी महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं।

यह केवल कुछ प्रमुख प्रश्नों के उत्तर हैं, भगवान श्रीकृष्ण के अनेक आदर्श, उपदेश और जीवन के पहलु हैं जिनका अध्ययन करके आप उनके महत्वपूर्ण सन्देशों को समझ सकते हैं।

श्री कृष्ण जी की आरती गीत पूजा विधि (Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics Pooja Vidhi)

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आरती पूजा सामग्री

  1. श्रीकृष्ण की प्रतिमा या मूर्ति
  2. दिव्यदीप (दीपक)
  3. अच्छे खासे फूल (पुष्प)
  4. गंध (सुगंधित पाउडर या द्रव्य)
  5. दिव्यमाला (मोती, मनी या कांस्य की माला)
  6. पूजा कलश
  7. गंगाजल (पवित्र जल)
  8. पूजा पात्र (कटोरी, प्लेट आदि)
  9. पूजा की थाली (एक छोटी पात्री)
  10. प्रसाद (मिष्ठान, फल आदि)
  11. धूप
  12. अगरबत्ती
  13. चादर या वस्त्र

पूजा विधि

  1. आरती गाना: पूजा की शुरुआत में आरती गाना शुरु करें। “आरती कुंजबिहारी की” या “श्रीकृष्ण आरती” गाना आरती के समय आमतौर पर किया जाता है।
  2. प्रतिमा की सजावट: श्रीकृष्ण की प्रतिमा को सुंदर वस्त्र, माला, चांदन और कुंकुम से सजाएं।
  3. दिव्यदीप जलाना: दीपक में घी या तेल डालकर उसकी बत्ती जलाएं। दीपक को श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने रखें।
  4. गंध और पुष्प: गंध को माला या द्रव्य के रूप में प्रतिमा को लगाएं। फिर फूलों की माला को भी प्रतिमा के गले में डालें।
  5. पूजा कलश: पूजा की थाली पर पूजा कलश रखें और उसमें गंगाजल डालें।
  6. पूजा पात्र में प्रसाद रखना: पूजा कलश के बगीचे में या पूजा पात्र में प्रसाद रखें।
  7. आरती करना: आरती की थाली में दीपक लिए अपने हाथों को प्रतिमा की दिशा में घुमाएं। आरती के गाने के समय आरती की थाली को प्रतिमा के सामने घुमाते रहें।
  8. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती को आरती की थाली में दीपक के पास रखें।
  9. आरती का प्रसाद: आरती के बाद प्रसाद को लाकर उसे आरती की थाली में रखें और फिर उसे प्रतिमा के सामने रखें।
  10. नामस्कार और प्रणाम: पूजा समाप्त होने पर आपका प्रियतम भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने प्रणाम करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

यह थी श्रीकृष्ण की आरती पूजा की सामान्य विधि। पूजा करते समय ध्यान रखें कि आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कार्य करें।

श्री कृष्ण जी की आरती गीत पीडीएफ (Shri Krishna Ji ki Aarti lyrics Pdf)

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Updated on May 11, 2024

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