चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra)

चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra) एक संस्कृत स्तोत्र है जो नेत्र रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। नेत्र की ज्योति बढ़ाने के लिए यह प्रार्थना किया जाता है। यह स्तोत्र यजुर्वेद के चक्षु उपनिषद से लिया गया है। चक्षु स्तोत्र का पाठ करने से नेत्र रोगों से हमें मुक्ति मिलती है, नेत्र की ज्योति बढ़ती है, और बुद्धि का विकास भी होता है।

चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra)

ॐ अस्याश्चा क्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता,

ॐ बीजम् नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षुरोग निवृत्तये जपे विनियोगः

चक्षुष्मती विद्या

ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेज स्थिरो भव।

मां पाहि पाहि।

त्वरितम् चक्षुरोगान् शमय शमय।

ममाजातरूपं तेजो दर्शय दर्शय।

यथा अहमंधोनस्यां तथा कल्पय कल्पय ।

कल्याण कुरु कुरु

यानि मम् पूर्वजन्मो पार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधक दुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।

ॐ नमः चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय।

ॐ नमः कल्याणकराय अमृताय। ॐ नमः सूर्याय।

ॐ नमो भगवते सूर्याय अक्षितेजसे नमः।

खेचराय नमः महते नमः। रजसे नमः। तमसे नमः ।

असतो मा सद गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मां अमृतं गमय।

उष्णो भगवान्छुचिरूपः। हंसो भगवान् शुचि प्रतिरूपः ।

ॐ विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं ज्योतिरूपं तपन्तम्।

सहस्त्र रश्मिः शतधा वर्तमानः पुरः प्रजानाम् उदयत्येष सूर्यः।।

ॐ नमो भगवते श्रीसूर्याय आदित्याया अक्षि तेजसे अहो वाहिनि वाहिनि स्वाहा।।

ॐ वयः सुपर्णा उपसेदुरिन्द्रं प्रियमेधा ऋषयो नाधमानाः।

अप ध्वान्तमूर्णुहि पूर्धि- चक्षुम् उग्ध्यस्मान्निधयेव बद्धान्।।

ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः। 

ॐ पुष्करेक्षणाय नमः।

 ॐ कमलेक्षणाय नमः।

 ॐ विश्वरूपाय नमः।

 ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः।

ॐ सूर्यनारायणाय नमः।।

 ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।

य इमां चाक्षुष्मतीं विद्यां ब्राह्मणो नित्यम् अधीयते न

 तस्य अक्षिरोगो भवति। न तस्य कुले अंधो भवति। न तस्य कुले अंधो भवति।

अष्टौ ब्राह्मणान् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिः भवति।

विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं पुरुषं ज्योतिरूपमं तपतं सहस्त्र रश्मिः।

शतधावर्तमानः पुरः प्रजानाम् उदयत्येष सूर्यः। ॐ नमो भगवते आदित्याय।।

।।इति स्तोत्रम्।।

चक्षु स्तोत्र अंग्रेजी में (Chakshu Stotra In English)

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om asyaashchaakshushiividyaayaa ahirbudhny ṛshiah, gaayatrii chhandah, suuryo devataa,

om biijam namah shaktiah, svaahaa kiilakam, chakshurog nivṛttaye jape viniyogah

chakshushmatii vidyaa

om chakshuah chakshuah chakshuah tej sthiro bhava.

maan paahi paahi.

tvaritam chakshurogaan shamay shamaya.

mamaajaataruupam tejo darshay darshaya.

yathaa ahamandhonasyaan tathaa kalpay kalpay .

kalyaaṇ kuru kuru

yaani mam puurvajanmo paarjitaani chakshuah pratirodhak dushkṛtaani sarvaaṇi nirmuulay nirmuulaya.

om namah chakshustejodaatre divyaay bhaaskaraaya.

om namah kalyaaṇakaraay amṛtaaya. om namah suuryaaya.

om namo bhagavate suuryaay akshitejase namah.

khecharaay namah mahate namah. rajase namah. tamase namah .

asato maa sad gamaya. tamaso maa jyotirgamaya. mṛtyormaan amṛtam gamaya.

ushṇo bhagavaanchhuchiruupah. hamso bhagavaan shuchi pratiruupah .

om vishvaruupam ghṛṇinam jaatavedasam hiraṇmayam jyotiruupam tapantam.

sahastr rashmiah shatadhaa vartamaanah purah prajaanaam udayatyesh suuryah..

om namo bhagavate shriisuuryaay aadityaayaa akshi tejase aho vaahini vaahini svaahaa..

om vayah suparṇaa upasedurindram priyamedhaa ṛshayo naadhamaanaaah.

ap dhvaantamuurṇuhi puurdhi- chakshum ugdhyasmaannidhayev baddhaan..

om puṇḍariikaakshaay namah. 

om pushkarekshaṇaay namah.

 om kamalekshaṇaay namah.

 om vishvaruupaay namah.

 om shriimahaavishṇave namah.

om suuryanaaraayaṇaay namah..

 om shaantiah shaantiah shaantiah..

y imaan chaakshushmatiin vidyaan braahmaṇo nityam adhiiyate n

 tasy akshirogo bhavati. n tasy kule amdho bhavati. n tasy kule amdho bhavati.

ashṭow braahmaṇaan graahayitvaa vidyaasiddhiah bhavati.

vishvaruupam ghṛṇinam jaatavedasam hiraṇmayam purusham jyotiruupamam tapatam sahastr rashmiah.

shatadhaavartamaanah purah prajaanaam udayatyesh suuryah. om namo bhagavate aadityaaya..

चक्षु स्तोत्र विधि (Chakshu Stotra Vidhi)

  1. प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपडे पहने।
  2. तांबे की कटोरी में चार बत्तियों वाला घी का दीपक जलना चाहिए।
  3. प्रतिदिन सुबह और शाम इस विधि को करने से नेत्र रोग से जल्द ही मुक्ति मिलती है।
  4. रविवार के दिन यह स्तोत्र करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
  5. इस स्तोत्र का पाठ पूर्व दिशा की ओर बैठ के करना चाहिए।
  6. चक्षु स्तोत्र का पाठ १२ रविवार तक १२ बार करना चाहिए।

चक्षु स्तोत्र लाभ (Chakshu Stotra Benefit)

  • चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra) का पाठ नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • चक्षु स्तोत्र का पाठ आंखों की रोशनी बढ़ती है।
  • चक्षु स्तोत्र का पाठ आंखों की जलन और खुजली दूर होती है।
  • चक्षु स्तोत्र का पाठ आंखों की सूजन और लालिमा कम होती है।
  • आँख से सबंधित सभी समस्या दूर हो जाती है।

यह स्तोत्र भी देखे


चक्षु स्तोत्र वीडियो (Chakshu Stotra Video)

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चक्षु स्तोत्र PDF

चक्षु स्तोत्र FAQ

चक्षु स्तोत्र विधि क्या है?

प्रातःकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपडे पहने।
तांबे की कटोरी में चार बत्तियों वाला घी का दीपक जलना चाहिए।
प्रतिदिन सुबह और शाम इस विधि को करने से नेत्र रोग से जल्द ही मुक्ति मिलती है।
रविवार के दिन यह स्तोत्र करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

चक्षु स्तोत्र विधि कब और कितनी बार करनी चाहिए?

चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra) को सुबह या शाम किसी भी समय किया जा सकता है।

यदि मुझे कोई गंभीर नेत्र रोग है, तो क्या मैं चक्षु स्तोत्र विधि कर सकता हूं?

यदि आपको कोई गंभीर नेत्र रोग है, तो इस विधि को करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

चक्षु स्तोत्र को कहा से लिया गया है ?

चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra) को यजुर्वेद के चाक्षुषोपनिषद से लिया गया है।

चक्षु स्तोत्र किस भाषा में है ?

चक्षु स्तोत्र (Chakshu Stotra) संस्कृत भाषा में है।

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Updated on May 11, 2024

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