सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) माँ दुर्गा को समर्पित शक्तिशाली स्त्रोत है, इस स्त्रोत का महालक्ष्मी मंत्र भी कहा जाता है। स्तोत्र का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती मानी जाती है और भक्त शक्ति और सुख की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। यह स्तोत्र बहुत ही प्रसिद्ध और पावन माना जाता है, और इसका पाठ धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है।
विषय सूची
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) जानकारी
गीतकार | अनुराधा पौडवाल जी |
लिरिक्स | ट्रेडिशनल |
म्यूजिक | संजयराज गौरीनंदन जी |
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra)
॥ अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ॥
शिव उवाच:
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी ।
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥
देव्युवाच:
शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् ।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
विनियोग:
ॐ अस्य श्री दुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,
श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः,
श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकीदुर्गापाठे विनियोगः ।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हिसा ।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥2॥
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ॥3॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ॥4॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ॥5॥
रोगानशोषानपहंसि तुष्टा रूष्टा
तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥6॥
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्र्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्यद्वैरिविनाशनम् ॥7॥
॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम् ॥
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) अंग्रेजी में
॥ Ath Saptashloki Durga ॥
Shiva Uvacha:
Devi Tvan Bhaktasulabhe Devi Tvan Bhaktasulabhe ।
Kalau Hi Karyasiddhyarthamupayan Broohi Yatnatah ॥
Devyuvaach:
Shrnu Dev Pravakshyaami Kalau Sarveshtasadhanam ।
Maya Tavaiv Snehenapyambastutih Prakashyate ॥
Viniyog:
Om Asya Shri Durgasaptashlokistotramantrasya Narayan Rishih,
Anushtup Chhandah, Shrimahakali Mahalakshmi Mahasaraswatyo Devatah,
Shridurgapreetyartham Saptashlokidurgapathe Vinyogah ।
Om Gyaninamapi Chetansi Devee Bhagavati Hisa ।
Baladakrshy Mohaay Mahamaya Prayachchhati ॥ 1 ॥
Durge Smrta Harasi Bheetimasheshajantoh
Swasthaih Smrta Matimateev Shubhaan Dadaasi ।
Daaridryaduhkhabhayahaarini Twadanya
Sarvopakarakaranaay Sadardrachitta ॥ 2 ॥
Sarvmangalmangalye Shive Sarvarthasadhike ।
Sharanye Tryambake Gauri Narayani Namostute ॥ 3 ॥
Sharanagatdinartparitranparayne ।
Sarvasaryatihare Devi Narayani Namostute ॥ 4 ॥
Sarvasvaroope Sarveshe Sarvashaktisamanvite ।
Bhayebhyastraahi No Devi Durge Devi Namostute ॥ 5 ॥
Rogaanashoshaanapahansi Tushta Rooshta
Tu Kaamaan Sakalaanabheeshtaan ।
Tvaamaashritaanaan Na Vipannaraanaan
Tvaamaashrita Hmaashrayataan Prayaanti ॥ 6 ॥
Sarvabadhaprashamnam Trilokyasyakhileshvari ।
Evameva Tvaya Kayamasyadvairavinashanam ॥ 7 ॥
॥ Iti Srisaptashloki Durga Sampoornam ॥
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) पीडीएफ
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सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) वीडियो
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् (Saptashloki Durga Stotra) FAQ
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् किस भाषा में है ?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् संस्कृत भाषा में है किन्तु लेख में हमारे द्वारा संस्कृत और अंग्रेजी दो भाषाओं में लेख किया गया है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् के गीतकार कौन है ?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् को समय – समय पर कई गीतकारों ने स्वर दिया है किन्तु हमारे द्वारा अनुराधा पौडवाल जी द्वारा प्रस्तुत स्त्रोत को लिखा गया है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ कैसे करना चाहिए?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ एकांत स्थान में साफ-सुथरे कपड़े पहनकर करना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ ध्यान लगाकरऔर शांत मन से करना चाहिए।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए किन सामग्री की आवश्यकता होती है?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए हमें कुछ सामग्री जैसे मंगला गौरी देवी की प्रतिमा या तस्वीर की ,फूल, माला, धूप, दीप, आदि की आवश्यकता होती है।
क्या सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ किसी विशेष दिन को करना चाहिए ?
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है किन्तु मंगलवार या गुरूवार के दिन विशेष रूप किया जाना उचित है।
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