शनि स्तोत्र (Shani Stotra PDF)

शनि स्तोत्र (Shani Stotra PDF) नीचे दिए गए पेज के लिंक से मुफ्त में डाउनलोड करें।

शनि स्तोत्र (Shani Stotra PDF) एक संस्कृत स्तोत्र है जो शनि देव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में शनि देव की पूजा और अर्चना के लिए उपयोग किया जाता है। शनि स्तोत्र में शनि देव की विभिन्न विशेषताओं और गुणों का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि शनि देव न्याय के देवता हैं और वे पापियों को दंड देते हैं। वे कर्म के देवता भी हैं और वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

Shani Stotra PDF Detail

PDF NameShani Stotra PDF

PDF Size
 440 KB
No.of Page4
LanguageSanskrit , English
PDF CategoryHindu Books, Religion & Spirituality. 

शनि स्तोत्र (Shani Stotra PDF)

शनि स्तोत्र हिंदी में (Shani Stotra In Hindi)

हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले॥
स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे॥
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥

हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
हे दीर्घ नेत्र वाले, शुष्कोदरा निराले॥
भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥

हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले॥
तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो भजन मेरे॥

हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ॥
हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हैं पूज्य चरण तेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी॥
विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हे पूज्य देव मेरे॥

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।
तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी॥
संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।
हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो॥
हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।
वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये॥
उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता॥
डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।
हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर॥
देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।
स्वीकारो नमन मेरे। स्वीकारो नमन मेरे॥

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै॥
सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे। हैं पूज्य चरण तेरे॥

शनि स्तोत्र वीडियो (Shani Stotra Video)

शनि स्तोत्र विधि (Shani Stotra Vidhi)

शनि स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो शनि देव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र दशरथ कृत है। शनि स्तोत्र का पाठ शनिवार के दिन किया जाता है।

  • सबसे पहले, एक शुद्ध स्थान पर एक चौकी स्थापित करें।
  • चौकी पर एक काले रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी के बीच में शनि देव की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • शनि देव को फूल, धूप, और दीप अर्पित करें।
  • अब, शनि देव को प्रणाम करें और उनका आशीर्वाद मांगें।
  • फिर, शनि स्तोत्र का पाठ करें।
  • पाठ करते समय, शनि देव के स्वरूप का ध्यान करें।

शनि स्तोत्र लाभ (Shani Stotra Benefit)

  • शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। शनि देव न्याय के देवता हैं। वे कर्म के देवता भी हैं और वे प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
  • जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य प्राप्त होता है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य प्राप्त होता है। शनि देव के आशीर्वाद से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनके जीवन में खुशहाली आती है।
  • शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा से मुक्ति मिलती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा एक व्यक्ति के जीवन में कठिन समय होते हैं। इन अवधियों में व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि की इन अशुभ दशाओं से मुक्ति मिलती है।
  • शनिदोष से मुक्ति मिलती है। शनिदोष एक प्रकार का ग्रह दोष है जो व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है।

यह स्तोत्र भी देखे


शनि स्तोत्र से सबंधित प्रश्न (Shani Stotra FAQ)

शनि स्तोत्र क्या है?

शनि स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो शनि देव की स्तुति करता है।

शनि स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

शनि स्तोत्र का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है। हालांकि, शनिवार के दिन इसका पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

क्या शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा से मुक्ति मिलती है?

हाँ, शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा से मुक्ति मिल सकती है। शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। शनि देव के आशीर्वाद से शनि की अशुभ दशाओं से मुक्ति मिल जाती है।

शनि स्तोत्र किस दिन किया जाना चाहिए ?

शनि स्तोत्र शनिवार को किया जाना चाहिए।

आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।

disclaimer

इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

Leave a Comment