हरियाली तीज त्योहार (Hariyali Teej Tyohar 2024): Joy, Beauty and great Tradition

हरियाली तीज(Hariyali Teej Tyohar) त्योहार हिंदी में एक विशेष और प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है जो शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को श्रावण मास (सावन महीना) में मनाया जाता है। यह तीज त्योहार भारतीय महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है और इसे खास रंग-बिरंगे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।

हरियाली तीज का त्योहार प्रकृति की सुंदरता, हरियाली, और बरसात के मौसम की महिलाओं के साथ खास तौर पर जुड़ा होता है। इस दिन महिलाएं हरा-भरा वस्त्र पहनती हैं, फूलों से बने माला और गजरे सजाती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और बिना पानी पिए उपवास करती हैं।

हरियाली तीज का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान, महिलाएं पानी के किनारे खेलती हैं, स्विंग पर झूलती हैं, नृत्य (फाग नृत्य) करती हैं, और मनोरंजन कार्यक्रमों का आनंद लेती हैं।हरियाली तीज पर नवविवाहित लड़की की ससुराल से नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार की चीजें और मिठाईयां भेजी जाती हैं। 

यह त्योहार भारतीय संस्कृति में समृद्धि, सुख, और प्रेम की प्रतीक है और महिलाओं के सम्मान और सांस्कृतिक परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

विषय सूची

हरियाली तीज त्योहार (Hariyali Teej Tyohar)

हरियाली तीज त्योहार कैसे मनाया जाता है ? (How Hariyali Teej Tyohar is celebreated? )

हरियाली तीज के दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करना हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रीति है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती को उनके सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। इस पूजा की विधि कुछ इस प्रकार होती है:

  1. पूजा स्थल की सजावट: पूजा के लिए एक सुन्दर स्थान तैयार करें, जैसे चौकी या फिर एक छोटा मंदिर। इस स्थान को धूप, दीपक, फूलों, अवश्यक सामग्री, और भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र से सजाएं।
  2. स्नान करना: पूजा के लिए स्नान करें और शुद्ध होकर पूजा के लिए तैयार हो जाएं।
  3. शिव-पार्वती की मूर्ति को पूजन: भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति को फूल, चावल, अक्षता, बिल्व पत्र, धूप, दीपक, इलायची, नारियल, और मिठाई आदि से सजाकर पूजें।
  4. मंत्र जाप: भगवान शिव-पार्वती के मंत्र जैसे “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ उमा पतये नमः” आदि का जाप करें।
  5. कथा वाचन: भगवान शिव-पार्वती की कथा जैसे प्रसिद्ध कथा जैसे “पार्वती व्रत कथा” को सुनें या पढ़ें।
  6. आरती और प्रसाद: भगवान शिव-पार्वती को आरती करें और उन्हें मिठाई और फल आदि से भोग लगाएं।

इस तरह से, Hariyali Teej Tyohar के दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से महिलाएं उनके आशीर्वाद को प्राप्त करती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति की कामना करती हैं।

हरियाली तीज आरती (Hariyali Teej Tyohar Aarti)

Hariyali Teej Tyohar के दिन माता पार्वती की यह आरती गयी जाती है।

जय पार्वती माता, जय जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता…

अरिकुल पद्मा विनासनी, जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता…

सिंह को वाहन साजे, कुंडल है साथा।
देव वंधु जस गावत, नृत्य करत ताथा।
जय पार्वती माता…

सतयुग रूप शील अति सुन्दर, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता…

शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।
सहस्त्र भुज तनु धरिके, चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता…

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी, शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही, हथान मदमाता।
जय पार्वती माता…

देवन अरज करत, तव चित को लाता।
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता।
जय पार्वती माता…

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता, सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता…

जय पार्वती माता, जय जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।
जय पार्वती माता…

हरियाली तीज(Hariyali Teej Tyohar) को धार्मिक दृष्टिकोन से विभिन्न प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं में अपार महत्व दिया गया है। यह धार्मिक त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव-पार्वती के प्रेम और विवाह की कथा के संबंध में जाना जाता है। यहां हरियाली तीज के धार्मिक महत्व के कुछ प्रमुख पहलुओं को देखते हैं:

  1. भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा: हरियाली तीज के अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की कथा सुनाई जाती है। इस तीज के दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा के साथ उनके विवाह की कथा का पाठ किया जाता है। यह कथा भक्तों को प्रेरित करती है और उन्हें सुख-शांति का संदेश देती है।
  2. भक्ति और समर्पण: Hariyali Teej Tyohar का महत्व भक्ति और समर्पण के संदेश को देता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और उनके चरणों में अपना जीवन समर्पित करती हैं।
  3. सांस्कृतिक महत्व: Hariyali Teej Tyohar भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार है। इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के साथ व्रत रखती हैं।
  4. प्रकृति के साथ जुड़ाव: Hariyali Teej Tyohar विशेष रूप से प्रकृति के साथ जुड़ा है, क्योंकि यह त्योहार श्रावण मास में मनाया जाता है, जब प्रकृति खुशहाली से भर जाती है। इस दिन भक्तगण वन यात्रा करते हैं और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हैं।
  5. पति-पत्नी के बीच संबंध: हरियाली तीज महिलाओं के पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना के साथ उसके पति के साथ अटूट संबंध को मजबूत करता है। इसे विवाहित और कन्या महिलाएं खास उत्साह के साथ मनाती हैं और पति के लंबे जीवन और सुखी जीवन की कामना करती हैं।

इस रूप में, Hariyali Teej Tyohar धार्मिक दृष्टिकोन से भगवान शिव-पार्वती के प्रेम की कथा, भक्ति और समर्पण का महत्व, सांस्कृतिक अर्थ, प्रकृति के साथ जुड़ाव और पति-पत्नी के संबंध को मजबूत करने का विशेष महत्व है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है और लोग इसे धर्मिक उत्साह के साथ मनाते हैं।

हरियाली तीज(Hariyali Teej Tyohar) का पौराणिक कथा हिंदी में निम्नलिखित है:

1. भगवान शिव और माता पार्वती

shankar parvati

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सुहाग की कामना से और कुंवारी लड़कियां योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती ने 108 वें जन्म के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।

करवा चौथ की तरह ये व्रत भी सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु,दांपत्य जीवन में प्रेम तथा भाग्योदय के लिए निर्जला व्रत करती हैं। अखंड सौभाग्य की कामना से इस दिन भगवान शिव,तीज माता का स्वरुप देवी पार्वती,नंदी और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।

2. कट्यायनी

kathyayini

कट्यायनी, एक महान ऋषि कुल में उत्पन्न होने के बाद भगवान शिव की भक्त बनी। वह भगवान शिव की अत्यंत आराधक थी और अपने जीवन को उनके भक्तिभाव से सजाना चाहती थी। उसे भगवान शिव का ध्यान करने के लिए उपास्य स्थल और तपस्या का अभ्यास करते देखकर देवी पार्वती ने उससे पूछा, “क्या तुम भगवान शिव के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति रखती हो?”

कट्यायनी ने कहा, “हां माँ, मैं भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए अपना जीवन तक अर्पित करने को तैयार हूँ।” इस पर देवी पार्वती ने उसे भगवान शिव के भक्ति का व्रत रखने का उपदेश दिया।

कट्यायनी ने व्रत रखने के लिए अपने घर को सजाया, सुंदर वस्त्र पहना, फूलों से बने हार पहनी और भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष पूजा की। उसने पूजा के दौरान विशेष रूप से जल अर्पण किया और भगवान शिव की विशेष भक्ति भाव से उनका ध्यान किया।

भगवान शिव ने उसकी पूजा स्वीकार करते हुए उसे आशीर्वाद दिया और वरदान मांगने का अवसर दिया। कट्यायनी ने भगवान से वरदान मांगा कि वह महान भक्ति भाव से उनकी सेवा करती रहे और हमेशा उनके आसन पर विराजमान रहे।

भगवान शिव ने उसकी इच्छा पूरी करते हुए कहा, “तुम्हारे पूरे जीवन तक हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि को मेरे व्रत का पालन करना और मेरी पूजा करना। इससे तुम्हारे सभी इच्छाएं पूरी होंगी और सुखी जीवन बिताओगी।”

इसी रीति से भगवान शिव ने कट्यायनी को आशीर्वाद दिया और उसके व्रत की महिमा की प्रशंसा की गई। इस तरह से हरियाली तीज व्रत का पौराणिक कथा है, जो भगवान शिव की भक्त और भक्ति की प्रतीक है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

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हरियाली तीज (Hariyali Teej Tyohar) के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न:

हरियाली तीज क्या है?

हरियाली तीज कब मनाई जाती है?

Hariyali Teej Tyohar हिंदू चंद्र माह श्रावण के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाया जाता है। तारीख हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती है, जो जुलाई और अगस्त के बीच पड़ती है।

हरियाली तीज का क्या महत्व है?

हरियाली तीज भगवान शिव और देवी पार्वती के पुनर्मिलन के सम्मान में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती अपनी तपस्या पूरी करने के बाद भगवान शिव के निवास पर लौट आई थीं। यह त्यौहार मानसून के मौसम का भी जश्न मनाता है और महिलाओं के वैवाहिक आनंद और कल्याण से जुड़ा है।

हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?

Hariyali Teej Tyohar विशेष रूप से विवाहित महिलाओं और युवा लड़कियों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वे चमकीले हरे रंग की पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, अपने हाथों पर मेंहदी लगाते हैं और विभिन्न अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों में भाग लेते हैं। महिलाएं अक्सर इस दिन उपवास रखती हैं और अपने पति और परिवार की भलाई के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज के पारंपरिक रीति-रिवाज क्या हैं?

Hariyali Teej Tyohar के पारंपरिक रीति-रिवाजों में शामिल हैं:
विवाहित एवं अविवाहित महिलाओं द्वारा व्रत रखना।
हाथों पर मेहंदी लगाना।
हरे रंग की पोशाक और आभूषण पहने हुए हैं.
फूलों से सजाए गए झूले उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं।
भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करें।
लोकगीतों और पारंपरिक धुनों पर गाना और नृत्य करना।

हरियाली तीज के दौरान आमतौर पर कौन सा भोजन खाया जाता है?

चूंकि Hariyali Teej Tyohar के दौरान उपवास करना एक आम बात है, इसलिए महिलाएं आमतौर पर हल्के और सात्विक (शुद्ध) खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं। इस दौरान फल, दूध से बनी मिठाइयाँ और बिना प्याज-लहसुन के बने व्यंजन आम तौर पर खाए जाते हैं।

क्या हरियाली तीज केवल महिलाएं ही मनाती हैं?

Hariyali Teej Tyohar मुख्य रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, लेकिन यह केवल उन्हीं तक सीमित नहीं है। पुरुष भी उत्सव में भाग लेते हैं, भले ही कुछ हद तक। यह त्यौहार पूरे समुदाय के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व रखता है।

क्या हरियाली तीज मनाने के तरीके में क्षेत्रीय भिन्नताएं हैं?

हां, Hariyali Teej Tyohar को मानाने में क्षेत्रीय भिन्नताएं हैं। भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में त्योहार से जुड़े अपने स्वयं के अनूठे रीति-रिवाज, रीति-रिवाज और परंपराएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान में, भगवान शिव और देवी पार्वती की खूबसूरती से सजी हुई मूर्तियों के साथ विस्तृत जुलूस एक आम दृश्य है।

हरियाली तीज पर झूले का क्या महत्व है?

झूले हरियाली तीज उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं। इन्हें अक्सर फूलों से सजाया जाता है और महिलाओं और लड़कियों द्वारा आनंद लेने और मानसून के मौसम का जश्न मनाने के लिए उपयोग किया जाता है। बारिश के मौसम में झूले भगवान कृष्ण और राधा की चंचलता का प्रतीक होते हैं और उत्सव के माहौल को बढ़ाते हैं।

Hariyali Teej Tyohar अन्य तीज त्योहारों से किस प्रकार भिन्न है?

मानसून के मौसम के दौरान मनाया जाने वाला हरियाली तीज बारिश से जुड़ी हरियाली और कायाकल्प पर केंद्रित है। अन्य तीज त्योहार, जैसे हरतालिका तीज और कजरी तीज, अलग-अलग महीनों में मनाए जाते हैं और इनका अपना अनूठा सांस्कृतिक और क्षेत्रीय महत्व होता है।

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