मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva lyrics) – Bhajan for good health and prosperity

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva lyrics) एक प्रसिद्ध काली माँ का भजन है, जिसका पाठ करने से मन की शांति मिलती है और जीवन से बुराइयों का नाश होता है , और भक्त के जीवन में अच्छा स्वास्थ्य , सुख और समृद्धि का आगमन होता है। इस गीत के कई संस्करण है और इस पोस्ट के लिए हमने नरेंद्र चंचल द्वारा गाया हुआ भजन का वीडियो उपलब्ध कराया है।

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा लिरिक्स हिंदी में (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva Lyrics In Hindi)

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े,
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेंट धरे ।
सुन जगदम्बे कर ना विलम्बे,
संतन के भडांर भरे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

बुद्धि विधाता तू जग माता,
मेरा कारज सिद्ध करे,
चरण कमल का लिया सहारा,
शरण तुम्हारी आन पड़े ।
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर,
तब तब आय सहाय करे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े ।

गुरु के वार सकल जग मोहयो,
तरूणी रूप अनूप धरे,
माता होकर होकर पुत्र खिलावे,
कही भार्या भोग करे ।
शुक्र सुखदाई सदा सहाई,
संत खड़े जयकार करे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

ब्रह्मा विष्णु महेश फल लिये,
भेट देन तेरे द्वार खड़े,
अटल सिहांसन बैठी मेरी माता,
सिर सोने का छत्र फिरे ।
वार शनिचर कुमकुम बरणी,
जब लुकड़ पर हुकुम करे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिये,
रक्त बीज को भस्म करे,
शुम्भ निशुम्भ को क्षण में मारे,
महिषासुर को पकड दले ।
आदित वारी आदि भवानी,
जन अपने को कष्ट हरे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े ।

कुपित होयकर दानव मारे,
चण्डमुण्ड सब चूर करे,
जब तुम देखी दया रूप हो,
पल में सकंट दूर करे ।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता,
जन की अर्ज कबूल करे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

सात बार की महिमा बरनी,
सब गुण कौन बखान करे,
सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी,
अटल भवन में राज करे ।
दर्शन पावे मंगल गावे,
सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे,
शिव शंकर हरी ध्यान धरे,
इन्द्र कृष्ण तेरी करे आरती,
चंवर कुबेर डुलाय रहे ।
जय जननी जय मात भवानी,
अटल भवन में राज करे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े ।

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े,
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
ले ज्वाला तेरी भेंट धरे ।
सुन जगदम्बे कर ना विलम्बे,
संतन के भडांर भरे,
संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली,
जय काली कल्याण करे ।

मंगल की सेवा सुन मेरी देवा लिरिक्स अंग्रेज़ी में (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva Lyrics In English)

Kali Mata ki Photo
काली माँ

mangal ki seva sun meri deva,
haath jod tere dvaar khade,
paan supaaree dhvaja naariyal,
le jvaala teree bhent dhare.
sun jagadambe kar na vilambe,
santan ke bhadaanr bhare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

buddhi vidhaata too jag maata,
mera kaaraj siddh kare,
charan kamal ka liya sahaara,
sharan tumhaaree aan pade.
jab jab bheed padee bhaktan par,
tab tab aay sahaay kare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.
mangal ki seva sun meri deva,
haath jod tere dvaar khade.

guru ke vaar sakal jag mohayo,
taroonee roop anoop dhare,
maata hokar hokar putr khilaave,
kahee bhaarya bhog kare.
shukr sukhadaee sada sahaee,
sant khade jayakaar kare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

brahma vishnu mahesh phal liye,
bhet den tere dvaar khade,
atal sihaansan baithee meri maata,
sir sone ka chhatr phire.
vaar shanichar kumakum baranee,
jab lukad par hukum kare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

khadg khappar trishul haath liye,
rakt beej ko bhasm kare,
shumbh nishumbh ko kshan mein maare,
mahishaasur ko pakad dale.
aadit vaaree aadi bhavaanee,
jan apane ko kasht hare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.
mangal ki seva sun meri deva,
haath jod tere dvaar khade.

kupit hoyakar daanav maare,
chandamund sab choor kare,
jab tum dekhee daya roop ho,
pal mein sakant door kare.
saumy svabhaav dharayo meri maata,
jan ki arj kabool kare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

saat baar ki mahima baranee,
sab gun kaun bakhaan kare,
sinh peeth par chadhee bhavaanee,
atal bhavan mein raaj kare.
darshan paave mangal gaave,
siddh saadhak teree bhent dhare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

brahma ved padhe tere dvaare,
shiv shankar haree dhyaan dhare,
indr krshn teree kare aaratee,
chanvar kuber dulaay rahe.
jay jananee jay maat bhavaanee,
atal bhavan mein raaj kare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.
mangal ki seva sun meri deva,
haath jod tere dvaar khade.

mangal ki seva sun meri deva,
haath jod tere dvaar khade,
paan supaaree dhvaja naariyal,
le jvaala teree bhent dhare.
sun jagadambe kar na vilambe,
santan ke bhadaanr bhare,
santan pratipaalee sada khushahaalee,
jay kaalee kalyaan kare.

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Mangal Ki Seva Sun Meri Deva lyrics pdf

Mangal Ki Seva Sun Meri Deva गीत का वीडियो

Mangal Ki Seva Sun Meri Deva lyrics से जुड़े सामान्य प्रश्न

काली माता की आरती मंगल की सेवा सुन मेरी देवा (Mangal Ki Seva Sun Meri Deva lyrics) को करने के क्या लाभ है ?

काली माँ की आरती का Mangal Ki Seva Sun Meri Deva नियमित पाठ करने से भक्तो को निम्न लाभ होते है :
मन की शांति मिलती है।
भक्त के जीवन से सभी बुराइयों का नाश होता है।
भक्त को अच्छा स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है।

काली माँ को भक्तो के मध्य कैसा माना जाता है ?

अपने भयावह रूप के बावजूद, काली माँ को अक्सर सभी हिंदू देवी-देवताओं में सबसे दयालु और सबसे प्यारी माना जाता है, क्योंकि उनके भक्त उन्हें ‘संपूर्ण ब्रह्मांड की माँ’ के रूप में मानते हैं।
काली माँ ‘अखंड सच्चिदानंद’ हैं; अविभाज्य वास्तविकता, जागरूकता, और आनंद।

काली माँ के कौन कौन से शस्त्र है ?

काली की सबसे आम चार सशस्त्र प्रतीकात्मक छवि में प्रत्येक हाथ में एक तलवार, एक त्रिशूल (त्रिशूल), एक कटा हुआ सिर और कटे हुए सिर के रक्त को पकड़ने वाला एक कटोरा या खोपड़ी-कप (कपाल) दिखाया गया है।
इनमें से दो हाथों (आमतौर पर बाएं) में तलवार और एक कटा हुआ सिर है। तलवार ‘दिव्य ज्ञान’ का प्रतीक है और मानव सिर ‘मानव अहंकार’ का प्रतीक है जिसे ‘मोक्ष’ प्राप्त करने के लिए दिव्य ज्ञान द्वारा मारा जाना चाहिए।
अन्य दो हाथ (आमतौर पर दाहिना) अभय (निर्भयता) और वरद (आशीर्वाद) मुद्रा में हैं, जिसका अर्थ है कि उनके आरंभ किए गए भक्त (या सच्चे दिल से उनकी पूजा करने वाला कोई भी) बच जाएंगे क्योंकि वह उन्हें यहां और अंदर मार्गदर्शन करेंगी। इसके बाद.
उसके पास कोई स्थायी गुण नहीं है – ब्रह्मांड समाप्त होने पर भी उसका अस्तित्व बना रहेगा। वह शुद्ध, अव्यक्त ऊर्जा, “आदि-शक्ति” ह

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इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले। 

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