रोम रोम में जिसके, श्री राम (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram)

रोम रोम में जिसके, श्री राम (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram) इस भजन में भगवान श्री राम के प्रति हनुमान जी के अटूट भक्ति और प्रेम का वर्णन किया गया है। यह एक भावपूर्ण भजन है जिसमे कहा गया है की हनुमान जी के रोम रोम में भगवान श्री राम समाये है। इस भजन को स्वर दिया है भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा जी ने। श्री लखबीर सिंह लक्खा जी के दमदार आवाज में भक्तगण झूमते हुए इस भक्ति भजन का आनंद ले श्री हनुमान जी की जय-जयकार करे।

यह भजन मुख्यतः श्री राम मंदिर, हनुमान मंदिर, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार के दिन और रामनवमी त्यौहार के अवसर पर सुना व पाठ किया जाता है।

रोम रोम में जिसके, श्री राम : भजन (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram : Bhajan) जानकारी

भजन के बोलरोम रोम में जिसके, श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का, ये उत्सव आया है ॥
गीतकारश्री लखबीर सिंह लक्खा जी
लिरिक्सट्रेडिशनल
म्यूजिकश्री सोहन लाल जी
लेबलस्प्रिचैल आर.ए.ऐश धरा

रोम रोम में जिसके, श्री राम : भजन (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram : Bhajan) हिंदी में

रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

उत्सव है बजरंगबली का,
खूब सजा दरबार,
जब साल सवाई आता है,
तब झूम उठे संसार ॥

रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
देवो का भी जिसने,
रे साथ निभाया है,
पंचमुखी बजरंगी,
यही कहलाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

शोभा दरबार की,
कितनी प्यारी लगे,
जो भी निहारे इन्हे,
उसकी किस्मत जगे,
विपदा सब कट जाती,
मिले रे धन माया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

संकट हरण बाबा,
भोले का अवतार है,
सालासर मेहंदीपुर,
इनका ही दरबार है,
आज अरज सुनने को,
हमारी आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

जिसकी ये रक्षा करे,
वो जग में किससे डरे,
दुश्मन की तोड़े नली,
भक्तो के कष्ट हरे,
सब भक्तो का संकट,
इसी ने मिटाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

जो पाना हो भगवान को,
याद कर लेना हनुमान को,
बुद्धि का दाता है ये,
दूर कर देता अज्ञान को,
‘राजपाल’ हनुमत पे,
श्री राम की छाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

रोम रोम में जिसके,
श्री राम समाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है,
देवो का भी जिसने,
रे साथ निभाया है,
पंचमुखी बजरंगी,
यही कहलाया है,
आज उसी बजरंग का,
ये उत्सव आया है ॥

रोम रोम में जिसके, श्री राम : भजन (Rom Rom Mein Jiske Shri Ram : Bhajan) अंग्रेजी में

Rom Rom Mein Jiske,
Shri Ram Samaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Utsav Hai Bajrangbali Ka,
Khoob Saja Darbar,
Jab Saal Savai Aata Hai,
Tab Jhoom Uthe Sansar ॥

Rom Rom Mein Jiske,
Shri Ram Samaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai,
Devo Ka Bhi Jisne,
Re Sath Nibhaya Hai,
Panchmukhi Bajrangi,
Yahi Kahalaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Shobha Darbar Ki,
Kitani Pyari Lage,
Jo Bhi Nihare Inhe,
Uski Kismat Jage,
Vipda Sab Kat Jati,
Mile Re Dhan Maya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Sankat Haran Baba,
Bhole Ka Avtar Hai,
Salasar Mehandipur,
Inaka Hi Darbar Hai,
Aaj Araj Sunane Ko,
Hamari Aaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Jiski Ye Raksha Kare,
Vo Jag Mein Kisase Dare,
Dushman Ki Tode Nali,
Bhakto Ke Kasht Hare,
Sab Bhakto Ka Sankat,
Isi Ne Mitaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Jo Pana Ho Bhagwan Ko,
Yaad Kar Lena Hanuman Ko,
Buddhi Ka Data Hai Ye,
Door Kar Deta Agyan Ko,
‘rajapal’ Hanumat Pe,
Shri Ram Ki Chhaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

Rom Rom Mein Jiske,
Shri Ram Samaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai,
Devo Ka Bhi Jisne,
Re Sath Nibhaya Hai,
Panchamukhi Bajrangi,
Yahi Kahlaya Hai,
Aaj Usi Bajrang Ka,
Ye Utsav Aaya Hai ॥

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