मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो भारतीय समाज में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन का पर्व है, जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है अर्थात दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाता है, उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
यह प्रतिवर्ष 14 जनवरी या 15 जनवरी को मनाया जाता है. वर्ष के इस महत्वपूर्ण समय में, लोग अपनी श्रद्धा और उत्साह के साथ इसे मनाते हैं। इस दिन लोग दान-दक्षिणा करना शुभ मानते है और तिल से बने व्यंजन खाते है. मकर संक्रांति का त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी खास रूप से मनाया जाता है, इस पर्व को अनेक नामों से जाना जाता है।
विषय सूची
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) का त्योहार
पुण्य काल :- सुबह 7:15 से सायं 5:45 तक
महापुण्य काल :- सुबह 7:15 से सुबह 9:00 तक
दिवस :- 15 जनवरी
मकर संक्रांति को लोग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के साथ मानते हैं। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष मास के समाप्त होने पर सूर्य की मांगलिक दिनांक होता है। इस दिन, लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं और अपने घरों को खास तौर से सजाते हैं। सूर्य के प्रति आभार व्यक्त करते हुए वे अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाते हैं और दूसरों के साथ बाँटते हैं।
भारत में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में, इसे ‘लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है, जबकि पश्चिम बंगाल में इसे ‘पौष संक्रांति’ या ‘पित्तोरा’ के नाम से जाना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में, इसे ‘उत्तरायण’ के नाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे ‘पोंगल’ के नाम से मनाया जाता है। इस त्योहार के अलावा भी अनेक राज्यों और क्षेत्रों में इसे अपने-अपने नामों से जाना जाता है।
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) को मनाने के तरीके और परंपराएँ भी विभिन्न होती हैं। इस दिन कुछ लोग गंगा नदी व अन्य पवित्र स्थलों पर स्नान करते हैं, जिसे ‘कुंभ स्नान’ के नाम से जाना जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है जिसमें लोग सूर्य देवता की पूजा के साथ-साथ नदी में स्नान करके अपने पापों को धोते हैं।
त्योहार के इस मौसम में, खेतों में अन्न उत्पादन का भी महत्वाकांक्षी समय होता है। अनाज की खेती के बाद इस समय में अन्न की नई फसल की शुरुआत होती है और इसे अपने घरों में खास रूप से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन, खिचड़ी, तिल, गुड़, रेवड़ी जैसी स्पेशल डिशेज बनाई जाती हैं। तिल के लड्डू, तिल के बर्फी, गुड़ की पत्तियां, और मूंगफली के लड्डू जैसी मिठाइयाँ भी इस त्योहार पर बनती हैं और लोगों के बीच बाँटी जाती हैं। इन मिठाइयों को साझा करके लोग एक-दूसरे के साथ अपने प्यार और साझेदारी का इजहार करते हैं।
मकर संक्रांति का त्योहार विभिन्न खेती कार्यों के साथ-साथ संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह एक ऐसा मौसम होता है जब लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ आनंद और खुशी से इसे मनाते हैं। इस दिन को लोग एक दूसरे के साथ खुशियों की बधाई देते हैं और मिलकर इसे खूबसूरती से मनाते हैं।
इस प्रकार, मकर संक्रांति एक ऐसा महत्त्वपूर्ण त्योहार है जो भारतीय संस्कृति में एकता, साझेदारी, और खुशहाली का प्रतीक है। यह त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ खेती और उत्पादन के महत्व को भी दर्शाता है।
मकर संक्रांति पर्व की कहानी (Story of Makar Sankranti festival)
- मान्यताओं के अनुसार एक दिन जब सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव (मकर राशि के स्वामी) के पास मिलने के लिए गए, तो उस दिन को मकर संक्रांति का पर्व के रूप में मनाये जाने लगा.
- ऋषि भगीरथ ने गंगा माता को धरती पर लाने के लिए अथक प्रयास किया, उनके प्रयास के फलस्वरूप गंगा माता धरती पर आयी, मकर संक्राति के दिन माँ गंगा ऋषि भगीरथ के पीछे चलते हुए समुद्र में मिल गयी.
मकर संक्रांति 2024 पूजा-विधि (Makar Sankranti 2024 Pooja-Vidhi)
मकर संक्रांति के दिन की पूजा-विधि का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें सूर्य देवता की पूजा और उन्हें अर्घ्य (जल) अर्पित करना शामिल होता है। यहां मकर संक्रांति 2024 पूजा-विधि (Makar Sankranti 2024 Pooja-Vidhi) के दिन की पूजा की सामान्य विधि दी गई है:
सामग्री:
- पूजन स्थल (जहां पूजा की जाएगी) मुख्यतः नदी-नालो में जाकर किया जाता है.
- एक छोटा सा थाली या प्लेट
- फूल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, नारियल, माचिस, लोटा व अन्य पूजन सामग्री
- शुद्ध जल (अर्घ्य के लिए)
- तिल, गुड़, मूंगफली, खीरे, चना, गुड़ की खीर, रेवड़ी, खीचड़ी, उड़द दाल, मक्के की रोटी, गुड़ के लड्डू या मिठाई (भोजन में जिन वस्तुओं को बनाया गया है, उन्हें पूजा के बाद प्रसाद के रूप में बांटा जा सकता है)
पूजा विधि:
- पूजन स्थल को शुद्ध करें और उस पर रंगों से बनी रंगोली या चौक का निर्माण करें।
- सूर्य देवता की मूर्ति या चित्र को पूजन स्थल पर रखें।
- पूजन स्थल पर थाली या प्लेट में फूल, धूप, दीपक, अगरबत्ती, और अर्घ्य के लिए शुद्ध जल रखें।
- पूजा का आरंभ करते समय, सूर्य देवता की मूर्ति, सीधे सूर्य देवता को देखकर आँखे बंद करके या चित्र का ध्यान करें और मन्त्रों के साथ उन्हें पूजन करें।
- फूल, धूप, दीपक, और अर्घ्य का अर्पण करें। सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उन्हें प्रणाम करें।
- इसके बाद, पूजा के प्रसाद के रूप में बनाए गए भोजन को सूर्य देवता को अर्पित करें।
- अब पूजा के बाद, पूजन स्थल को साफ़ करें और प्रसाद को बांटें।
ध्यान दें कि यहां दी गई पूजा-विधि सामान्य रूप बताया गया है और व्यक्तिगत धार्मिक और पारंपरिक विशेषताओं के अनुसार भिन्न-भिन्न तरीकों में भी पूजा की जा सकती है।
मकर संक्रांति 2024 हेतु सूर्य मंत्र (Surya Mantra for Makar Sankranti 2024)
- ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः: मैं सूर्य के तेज, प्रकाश, और ऊर्जा को नमन करता हूं।
- ओम भास्कराय नमः: मैं सूर्य को, जो प्रकाश और ऊर्जा का देवता है, नमन करता हूं।
- ओम आदित्याय नमः: मैं सूर्य को, जो आदित्यों का देवता है, नमन करता हूं।
- ओम दिवाकराय नमः: मैं सूर्य को, जो दिन का प्रकाश देने वाला है, नमन करता हूं।
मकर संक्रांति 2024 हेतु सूर्य मंत्र (Surya Mantra for Makar Sankranti 2024) को किसी भी स्वच्छ नदी-नालो के शुद्ध स्थान पर, सुबह (ऊपर के लेख में दिए गए समयानुसार) सूर्य देवता को जल अर्पण करने के लिए, एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें कुछ लाल फूल और काले तिल मिलाएं। फिर, सूर्य की ओर मुख करके, मंत्र का जाप करते हुए, जल को सूर्य देवता को अर्पित करें।
सूर्य जल अर्पण मंत्र (Surya Jal Arpan Mantra)
सूर्य को जल चढ़ाने के साथ – साथ मुख्यतः सूर्य जल अर्पण मंत्र (Surya Jal Arpan Mantra) का उपयोग किया है –
ॐ सूर्याय नमः
इस मंत्र का अर्थ है “मैं सूर्य को नमस्कार करता हूं।” आप इसे दिन के किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन इसे सुबह-सुबह करना विशेष रूप से फायदेमंद होता है, जब सूर्य उग रहा होता है।
मकर संक्रांति 2024 हेतु सूर्य जल अर्पण मंत्र के लाभ (Benefits of Surya Jal Arpan Mantra for Makar Sankranti 2024)
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) को सूर्य देवता को जल अर्पण करने से कई लाभ होते हैं। यह स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि को बढ़ावा देता है। यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी मदद करता है।
- बेहतर स्वास्थ्य:
कहा जाता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ती है और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। - मानसिक लाभ:
सूर्य को जल अर्पण करने से मानसिक शांति प्रप्त होती है। यह मन को एकाग्र करता है और आत्म-ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है। - समृद्धि में वृद्धि:
कहा जाता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से आर्थिक समृद्धि सहित आशीर्वाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। - आध्यात्मिक विकास:
कहा जाता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से आत्मा शुद्ध होती है और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा मिलता है। - परमात्मा से जुड़ाव:
सूर्य को जल चढ़ाना परमात्मा से जुड़ने और सूर्य के प्रति सम्मान और भक्ति दिखाने का एक तरीका है।
मकर संक्रांति 2024 हेतु श्री सूर्य देव आरती (Shri Surya Dev Aarti for Makar Sankranti 2024)
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
मकर संक्रांति 2024 हेतु श्री सूर्य देव आरती (Surya Aarti for Makar Sankranti 2024) Pdf
मकर संक्रांति 2024 हेतु श्री सूर्य देव चालीसा हिंदी में (Shri Surya Dev Chalisa in Hindi for Makar Sankranti 2024)
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥8
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥12
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥16
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥20
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥24
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥28
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥32
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥36
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥40
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
यह भी जाने
मकर संक्रांति 2024 (Makar Sankranti 2024) FAQ
मकर संक्रांति क्या है?
मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है जो सूर्य की स्थिति में परिवर्तन का पर्व होता है, जब सूर्य मकर राशि (कप्रिकॉर्न) में प्रवेश करता है। यह हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?
इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य की उत्तरायण की शुरुआत होती है, जो शुभ समय माना जाता है।
मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?
इस दिन लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं, उन्हें अर्घ्य (जल) देते हैं, और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाते हैं जैसे कि तिल, गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी आदि।
मकर संक्रांति के त्योहार को भारत के कितने राज्यों में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तरायण, पोंगल, लोहड़ी, खिचड़ी, मघा बिहु इत्यादि कुछ नाम हैं जिनसे यह त्योहार जाना जाता है।
मकर संक्रांति में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं?
मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी, खीर, लड्डू, चिक्की, और खीरे जैसे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति पूजा कैसे की जाती है?
मकर संक्रांति पूजा में लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं, उन्हें अर्घ्य (जल) देते हैं, और प्रसाद के रूप में बनाए गए खाद्य पदार्थों को अर्पित करते हैं।
मकर संक्रांति की परंपराएं क्या हैं?
इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और नदी में स्नान करके पापों को धोते हैं, जिसे ‘कुंभ स्नान’ कहा जाता है। इसके अलावा, परिवार और दोस्तों के साथ खास रूप से भोजन करके और मिठाई साझा करके इसे मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के त्योहार में क्या विशेष तैयारियाँ की जाती हैं?
मकर संक्रांति के पहले ही दिन से लोग खास तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। वे खाद्य पदार्थ बनाने और घरों को सजाने में लगे रहते हैं, ताकि त्योहार को धूमधाम से मनाया जा सके।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं?
कई स्थानों पर मकर संक्रांति के त्योहार में पतंगबाजी (किटे उड़ाना), लोहड़ी जलाना, गोधूली, मूंगफली के गुछ्छे और कुछ स्थानों पर होते हैं।
मकर संक्रांति के त्योहार में कौन-कौन से राज्यों में मनाया जाता है?
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। यह उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, असम, बिहार, उड़ीसा और अन्य कई राज्यों में मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का मुहूर्त कब है ?
पुण्य काल :- सुबह 7:15 से सायं 5:45 तक
महापुण्य काल :- सुबह 7:15 से सुबह 9:00 तक
दिवस :- 15 जनवरी
आज का हमारा लेख पढ़ने के लिए हम आपकी सराहना करते हैं। कृपया अपने अनुभव हमसे साझा करने के लिए हमारे facebook group पर जुड़े और हमारे facebook page को like करे। अगर आप इस लेख में कुछ सुधार चाहते है, तो कृपया comment के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है।
इस पोस्ट में लिखी गयी सारी जानकारियां धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है, कृपया इसे विशेषग्य की सलाह न समझे एवं poojaaarti.com किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है और किसी भी आरती, भजन या कथा को करवाने की विधियों के लिए अपने नजदीकी विशेषग्य की राय ले।
किशन इजारदार एक ब्लॉगर है, जिनका ब्लॉग बनाने का उदेश्य यह है कि, poojaaarti.com की website के माध्यम से भक्ति से जुड़े हुए लोगो को एक ही जगह में देवी देवताओ से संबंधित समस्त जानकारी हिंदी वा अन्य भाषा में उपलब्ध करा सके.